खामोश हूँ मैं कुछ वक्त के लिये
गमों को हमें
छुपाना नहीं आता,
मुस्कुराना और
हँसाना नहीं आता
खामोश हूँ मैं
कुछ वक्त के लिये
क्यूंकि
दोस्तों को मुझे
रुलाना नहीं आता,
यह दिन
जब ढल जाएगा
आयेगें फिर हम
नव उत्साह के साथ
क्यूंकि हमें किसी को भी
भूलाना नहीं आता|