खामोश इश्क़……..
उन्हें जब फिक्र इतनी है तो वो क्यों कह नहीं देते ।
भला किश्तों मे ऐसे कौन इज़हार करता है।।
मेरे दिल में जो कुछ था वो सब मैंने आँखों से कह डाली ।
भला उनकी तरह कौन इतना सोच समझ कर प्यार करता है।।
माना बेख़बर हैं मुझसे वो मगर खबर खुद की तो होगी उन्हें।
भला खुद पर भी सितम कोई बार-बार करता है।।
आज़माना ,परखना ,समझना लाज़मी है ,किसी को अपना बनाने से पहले ।
पर अपनो पर इस क़दर शक कौन हर बार करता है।।
:-सैय्यद आकिब ज़मील