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1 Feb 2017 · 1 min read

खामोशी

मुक्तक

इन्हे हम गा न पायेंगें अधूरे से
तराने है।
जिन्हे रच भी न पाये हम ये वही अफसाने है।
कर सकते नही बयां हम इनको
लफ़्ज़ो में।
यें खामोशी की ताने है मूक से यें फसाने है।

सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड

Language: Hindi
260 Views
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