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17 Mar 2023 · 1 min read

*भागे दुनिया हर कहीं, गली देस परदेस (कुंडलिया)*

भागे दुनिया हर कहीं, गली देस परदेस (कुंडलिया)
____________________________&
भागे दुनिया हर कहीं ,गली देस परदेस
दौड़े जग में इस तरह ,जैसे घोड़ा रेस
जैसे घोड़ा रेस ,न भीतर लेकिन झाँका
तन में बंदी कौन ,ठहर थोड़ा कब आँका
कहते रवि कविराय ,अधमुँदे रहे न जागे
फुर्सत मिली न एक ,अनवरत दौड़े-भागे
____________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा , रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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