खामोशी
मुक्तक
इन्हे हम गा न पायेंगें अधूरे से
तराने है।
जिन्हे रच भी न पाये हम ये वही अफसाने है।
कर सकते नही बयां हम इनको
लफ़्ज़ो में।
यें खामोशी की ताने है मूक से यें फसाने है।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड
मुक्तक
इन्हे हम गा न पायेंगें अधूरे से
तराने है।
जिन्हे रच भी न पाये हम ये वही अफसाने है।
कर सकते नही बयां हम इनको
लफ़्ज़ो में।
यें खामोशी की ताने है मूक से यें फसाने है।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड