खामोशी
खामोशी
भावनाओं में बहकर कविताएं लिखते लिखते एक कविता न लिख सका तुम्हारे लिये पर एक कविता बिना शब्दों की ही मै लिख दूंगा, तुम मेरे आंखों में देख के उसे पढ़ लेना। आते जाते पलों से ताल मिलाते मिलाते एक गीत न गा सका तुम्हारे लिये, अब एक गीत खामोश बनकर गा लूंगा, तुम मेरे होठों से उसे समेट लेना। जिंदगी के साथ झूमते झूमते एक धुन न बजा पाया तेरे लिये, अब एक संगीत बिना साज के ही बजा दूंगा, तुम मेरे दिल की धड़कन में उसे सुन लेना। ❤ ठाकुर छतवाणी ( श्री मित्रा जसोदा पुत्र )