खामोशी भरी आँखें है
खामोशी भरी आँखें है,
ख़ामोशी भरें उठे है कदम,
शब्द ढूँढ़ते लबो को मेरे,
लबों पर उनकी ख़ामोशी का सितम,
एक लडख़ड़ाता शब्द आया कहने,
मैं लबों पे सो जाऊ या कुछ कह लूँ,
आँखों के तरकश में तीर पडे है,
दिल पर हाथ रखूँ या ख़ामोशी सह लूँ,
है मेरी सोच के आंसू सूखे सूखे,
कहते मुझसे कुछ पूछे कुछ कह लूँ,
हलकी मुस्कराहट हलकी सी आहट है,
ख़ामोशी की तू ही पुकार तू ही चाहत है,
तनहा शायर हूँ