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3 May 2024 · 1 min read

खामोशी के किवाड़

“ख़ामोशी के किवाड़, बड़ी ख़ामोशी से, रोज़ खोलिए”

आप, अपनी कहिए, और उन्हें, उन की, बोलने दीजिए
इस तरहा, अपने घर के, हर दरवाज़े को, रोज़ खोलिए

आप की अपनी रही और उनकी, उन ही की रही मगर
बातों बातों में वो आप के और आप उन ही के हो लिए

जज़्बात, अल्फ़ाज़ों की शक्ल में, बयां होते हैं आसानी से
गुबार हो प्यार हो खलिश हो आप तो बस कहते चलिए

रिश्तों में ख़ामोशी, एक बहुत बड़ी, चिरांध है, ये समझें
अगर वो, किसी वजहा से, चुपचाप हैं, तो आप बोलिए

ख़ामोशी के किवाड़, बड़ी ही ख़ामोशी से, रोज़ खोलिए

~ नितिन जोधपुरी “छीण”

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