खामोशिया(गज़ल)
खामोशिया/मंदीप
कुछ तो बया करती है ये खामोशिया,
बिना समझे समझा जाती ये खामोशिया।
लब्जो पर जो आ कर रुक जाती,
बिना जुबा की होती ये खामोशिया।
देखे जब भी अपने दिलबर को,
आँखों की चमक बता देती ये खामोशिया।
है कितना दर्द इस दिल में,
आँसुओ में बह जाती ये खामोशिया।
है बेशूमार चाहत तुम से,
बिन बोले सब बता देती ये खामोशिया।
तन्हाइयो में जो साथ दे,
प्यार का अहसास करवाती ये खामोशिया।
आती नही अक्सर नींद रातो को,
सारी सारी रात जगाती ये खामोशिया।
मंदीपसाई