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24 Oct 2017 · 1 min read

खामोशियाँ

गुनगुनाते झरनो के रसीले सुर
फूलों के खिलते मासूम रंग
तितली भँवरों की ये गुनगुन
अनकहे प्रेम की बहती तरंग
सितारों की अनगढ़ चमक
मौन संवादों की मधुर गूँज
अन्तर्मन को छू जाते
ये खामोशियों के पल
अत्याचारों की खामोश सहन
खुली सड़क का व्यभिचार
होना घटना का मूक साक्ष्य
बली की लाठी, पीठ गरीब की
मानवता की इस मृत्यु पर
अनुत्तरित प्रश्नों की मौन भीड़
सोने नहीं देते नींद चैन की
ये खामोशी के.खुदगर्ज पल

मीनाक्षी भटनागर। नई दिल्ली
स्वरचित
24-10-2017

Language: Hindi
612 Views
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