खाने को पैसे नहीं,
खाने को पैसे नहीं,
छलकायेंगे जाम।
महफिल में मिल बैठेंगे,
नियम भूल तमाम ।।
रचनाकार – कंचन खन्ना, मुरादाबाद ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार) ।
दिनांक – ०६/०५/२०२३.
खाने को पैसे नहीं,
छलकायेंगे जाम।
महफिल में मिल बैठेंगे,
नियम भूल तमाम ।।
रचनाकार – कंचन खन्ना, मुरादाबाद ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार) ।
दिनांक – ०६/०५/२०२३.