खादी पहने ताज
गाँधीयुग से आज तक, खादी पहने ताज
राजनीति के खेल में, खादी करती राज
भूल गया है देश क्यों, खादी का सम्मान
है अब भी यह विश्व में, भारत की पहचान
धूमिल खादी कर रहे, फैशन धारी लोग
तंग जीन्स टी-शर्ट में, भौतिकता का भोग
परदेशी परिधान ही, है जिनका व्यवहार
खादी-खादी कर रहे, झूठा वही प्रचार
चरखा बापू का चले, काते दिनभर सूत
आज़ादी अभियान में, माँ के वीर सपूत
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