खाता हूं बाजार का डब्बा(मेरी प्यारी माँ)
खाता हूं बाजार का डब्बा,
तो दिल से फरियाद आती है।
माँ के हाथ की बनी रोटियां,
आज भी बहुत याद आती है।।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा”दीपक”
मो.नं.-9628368094,7985502377
खाता हूं बाजार का डब्बा,
तो दिल से फरियाद आती है।
माँ के हाथ की बनी रोटियां,
आज भी बहुत याद आती है।।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा”दीपक”
मो.नं.-9628368094,7985502377