खाक पाकिस्तान!
नापाक था, अब खाक है तू
जो खुद कटे वो नाक है तू
खुद के बच्चों को जो डस ले,
वो तिलमिलाता नाग है तू।।
भुखमरी के हाल से
जो हार तूने मान ली है
खिलखिलाते कश्मीर में
जो गिड़गिड़ाती जान ली है।।
रब की बनाई कौम में
ना मिट सके, वो दाग है तू
नापाक था, अब खाक है तू
जल चुकी, बस राख है तू।।
—✍ सारांश सिंह ‘प्रियम’