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9 May 2023 · 1 min read

खाई रोटी घास की,अकबर को ललकार(कुंडलिया)

खाई रोटी घास की,अकबर को ललकार(कुंडलिया)
^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^
खाई रोटी घास की, अकबर को ललकार
भाला राणा का दिखा , दुनिया में दमदार
दुनिया में दमदार, नहीं यह झुकना सीखा
स्वाभिमान भरपूर, देशहित लड़ता दीखा
कहते रवि कविराय, कीर्ति भारत की गाई
अकबर था लाचार, हमेशा मुँह की खाई
********************************
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

1 Like · 430 Views
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