खाई रोटी घास की,अकबर को ललकार(कुंडलिया)
खाई रोटी घास की,अकबर को ललकार(कुंडलिया)
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खाई रोटी घास की, अकबर को ललकार
भाला राणा का दिखा , दुनिया में दमदार
दुनिया में दमदार, नहीं यह झुकना सीखा
स्वाभिमान भरपूर, देशहित लड़ता दीखा
कहते रवि कविराय, कीर्ति भारत की गाई
अकबर था लाचार, हमेशा मुँह की खाई
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451