Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2022 · 1 min read

ख़्वाहिशें बे’लिबास थी

मुंह छुपाने को हम कहां जाते।
ख़्वाहिशें बेलिबास थी सारी।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
8 Likes · 2 Comments · 480 Views
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मैं जब भी चाहूंगा आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है।
मैं जब भी चाहूंगा आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है।
Kumar Kalhans
सोचता हूँ रोज लिखूँ कुछ नया,
सोचता हूँ रोज लिखूँ कुछ नया,
Dr. Man Mohan Krishna
"गुरु पूर्णिमा" की हार्दिक शुभकामनाएं....
दीपक श्रीवास्तव
बाल कविता : बादल
बाल कविता : बादल
Rajesh Kumar Arjun
लक्ष्य प्राप्त होता सदा
लक्ष्य प्राप्त होता सदा
surenderpal vaidya
3697.💐 *पूर्णिका* 💐
3697.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मैं कौन हूं
मैं कौन हूं
Anup kanheri
दो अक्टूबर - दो देश के लाल
दो अक्टूबर - दो देश के लाल
Rj Anand Prajapati
सुनो मैथिल! अब सलहेस कहाँ!
सुनो मैथिल! अब सलहेस कहाँ!
श्रीहर्ष आचार्य
पुरखों का घर - दीपक नीलपदम्
पुरखों का घर - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
म
*प्रणय*
*श्री देवेंद्र कुमार रस्तोगी के न रहने से आर्य समाज का एक स्
*श्री देवेंद्र कुमार रस्तोगी के न रहने से आर्य समाज का एक स्
Ravi Prakash
प्रियवर
प्रियवर
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
दस लक्षण पर्व
दस लक्षण पर्व
Seema gupta,Alwar
माईया दौड़ी आए
माईया दौड़ी आए
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अवंथिका
अवंथिका
Shashi Mahajan
SP57 वृद्ध पिता को /सूरज का शहर/ विकराल ज्वाल /जाति धर्म संप्रदाय
SP57 वृद्ध पिता को /सूरज का शहर/ विकराल ज्वाल /जाति धर्म संप्रदाय
Manoj Shrivastava
मां कुष्मांडा
मां कुष्मांडा
Mukesh Kumar Sonkar
गर्व हो रहा होगा उसे पर्वत को
गर्व हो रहा होगा उसे पर्वत को
Bindesh kumar jha
Prastya...💐
Prastya...💐
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
दोहा त्रयी. . . . शीत
दोहा त्रयी. . . . शीत
sushil sarna
विषय-हारी मैं जीवन से।
विषय-हारी मैं जीवन से।
Priya princess panwar
नाख़ूनों पर
नाख़ूनों पर
Akash Agam
लोगों को ये चाहे उजाला लगता है
लोगों को ये चाहे उजाला लगता है
Shweta Soni
I Can Cut All The Strings Attached
I Can Cut All The Strings Attached
Manisha Manjari
आईने की सदाकत से पता चला,
आईने की सदाकत से पता चला,
manjula chauhan
वक्त
वक्त
पूर्वार्थ
पाप मती कर प्राणिया, धार धरम री डोर।
पाप मती कर प्राणिया, धार धरम री डोर।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।
हकीकत से रूबरू हो चुके हैं, अब कोई ख़्वाब सजाना नहीं है।
अनिल "आदर्श"
Loading...