ख़्वाब मेरी आँखों के न बिखरने देगा
ख़्वाब मेरी आँखों के न बिखरने देगा
अपने दिल की इक रोज़ मुझे करने देगा
मेरा यकीं है अगर चाँद पूरा है तो
क्यूँ शब में समंदर वो उतरने देगा
अच्छा होता है फूलों का मिलते रहना
वर्ना खुश्बू इधर से कौन गुजरने देगा
उसी शख़्स के ख़यालों में दरिया होगा
जो तिश्नगी को ज़हन में उतरने देगा
ज़िंदगी यूँ ही जीते हैं की मर जाएँ मगर
पूरी तरह से कोई नहीं मरने देगा
हुनर रखो कोई ऐसा की दबा दो सबको
यूँ दुनियाँ में तुम्हें कौन उभरने देगा
क़ायनात की हर शै सफ़र है तो फिर
तुझको ‘सरु’ कौन इक जगह ठहरने देगा