ख़्वाबों को सच करके है दिखलाना !
ख़्वाबों को सच करके है दिखलाना !
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आपकी नेक सलाह सर ऑंखों पर !
गौर कर लिया है मैंने उन हर बातों पर !
बस ध्यान दूंगा मैं अब अपने कर्मों पर !
शायद खड़ा उतर सकूॅं सबकी उम्मीदों पर !!
शायद ही पूरा हो पाएगा मेरा यह सपना !
सबकी उम्मीदों पर अच्छे से खड़ा मेरा उतरना !
सिर्फ़ भावनाओं में ही नहीं है मुझे यूॅं ही बहना !
कभी – कभी, कुछ-न-कुछ है मुझे करते रहना !!
पर बहुत कुछ जीवन में है मुझको सहना !
सदा अनुकूल परिस्थिति की तलाश में है रहना !
सिर्फ बातों से ही नहीं है किसी को लुभाना !
हर मोड़ पर ही खुद को है सिद्ध करते जाना !!
डर लगता है कहीं बनके ना रह जाए ये सपना !
करना पड़ रहा मुझे कुछ मुश्किलों का सामना !
अच्छी तरह आता मुझे वक्त के साथ जूझना !
पर सबको वक्त के आगे पड़ता कभी झुकना !!
मुझे आज के हालात से है कुछ सामंजस्य बिठाना !
मुश्किलात के बादल को हटा हल ढूॅंढ़ निकालना !
इर्द – गिर्द के वातावरण से जड़ता को दूर भगाना !
प्रतिकूल हवाओं के रुख को सन्मुख में ले आना !!
लचीले सोच के पहिए से जीवन की गाड़ी है दौड़ाना !
वक्त बेवक्त रफ्तार उसकी तेज़ और मंद करते जाना !
इसी तरह कर्त्तव्य-पथ पर है अपना कर्म करते जाना !
एक दिन सुंदर से ख़्वाबों को सच करके है दिखलाना !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
किशनगंज ( बिहार )