ख़ून के धब्बें
ख़ून के धब्बें शर्ट पे उसके
लगे हुए थे मोटे-मोटे
लेकिन क्योंकि जेब में उसकी
इक सेहतमंद बटवा था,
सोने की चेन थी उसकी,
हीरे की अंगूठी थी
गाड़ी भी थी महंगी विदेशी
हवा से बातें करती थी।
इन सब बातों के ऊपर
वो बोलता भी अंग्रेज़ी था
यानी लड़का अच्छा-भला था
और बहूत मासूम था वो
नशे की हालत में बस
अपना आपा खो बैठा था वो ।
हरे-हरे नोटों की बारिश
होने लगी और धीरे-धीरे
खून के धब्बें मोटे-मोटे
गायब हो गए होते-होते।
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’