Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2024 · 1 min read

ख़ुद ब ख़ुद

अच्छा है, नसीब में क्या है वह पता ही नहीं
पता हो, तो भी,जो होना है, वह टला ही नहीं

मिलना तो ख़ुद से था, जो कभी मिला ही नहीं
ख़ुद को देख पाता ऐसा आईना बना ही नहीं

ढूँढता है शहर में कोई,नया मकान अक्सर
कोई मुस्तकिल ठिकाना यहाँ हुआ ही नहीं

मौसम यहाँ इंसा की नीयत सा बदलता है
आईने में, कोई चेहरा देर तक रुका ही नहीं

एक बार ही मिला था अपनी रूह से, मैं
किसी ने कुछ कहा , फिर बुरा लगा ही नहीं

डा राजीव “सागरी”

94 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Rajeev Jain
View all
You may also like:
4369.*पूर्णिका*
4369.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कीमती
कीमती
Naushaba Suriya
ग़ज़ल
ग़ज़ल
SURYA PRAKASH SHARMA
Love's Burden
Love's Burden
Vedha Singh
ये जो उच्च पद के अधिकारी है,
ये जो उच्च पद के अधिकारी है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मेरे चेहरे से ना लगा मेरी उम्र का तकाज़ा,
मेरे चेहरे से ना लगा मेरी उम्र का तकाज़ा,
Ravi Betulwala
तुम्हे देख कर ही ऐसा महसूस होता है
तुम्हे देख कर ही ऐसा महसूस होता है
Ranjeet kumar patre
जनक देश है महान
जनक देश है महान
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
क्या करना उस मित्र का, मुँह पर करता वाह।
क्या करना उस मित्र का, मुँह पर करता वाह।
डॉ.सीमा अग्रवाल
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा तृतीय अध्याय।।
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा तृतीय अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मैं लिखूंगा तुम्हें
मैं लिखूंगा तुम्हें
हिमांशु Kulshrestha
*मिट्टी की वेदना*
*मिट्टी की वेदना*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इन हवाओं को न जाने क्या हुआ।
इन हवाओं को न जाने क्या हुआ।
पंकज परिंदा
*देना सबको चाहिए, अपनी ऑंखें दान (कुंडलिया )*
*देना सबको चाहिए, अपनी ऑंखें दान (कुंडलिया )*
Ravi Prakash
"कु-समय"
Dr. Kishan tandon kranti
श्री गणेश
श्री गणेश
विशाल शुक्ल
बिन बोले सुन पाता कौन?
बिन बोले सुन पाता कौन?
AJAY AMITABH SUMAN
*धर्म के नाम पर झगड़ा क्यों?*
*धर्म के नाम पर झगड़ा क्यों?*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
अश'आर हैं तेरे।
अश'आर हैं तेरे।
Neelam Sharma
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
पूर्वार्थ
यादों की सफ़र
यादों की सफ़र"
Dipak Kumar "Girja"
दिल में बसाना नहीं चाहता
दिल में बसाना नहीं चाहता
Ramji Tiwari
पता नहीं किसी को कैसी चेतना कब आ जाए,
पता नहीं किसी को कैसी चेतना कब आ जाए,
Ajit Kumar "Karn"
ठिठुरन
ठिठुरन
Mahender Singh
# उचित गप्प
# उचित गप्प
DrLakshman Jha Parimal
निगाह  मिला  के , सूरज  पे  ऐतबार  तो  कर ,
निगाह मिला के , सूरज पे ऐतबार तो कर ,
Neelofar Khan
*
*"मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम"*
Shashi kala vyas
......,,,,
......,,,,
शेखर सिंह
जमाना चला गया
जमाना चला गया
Pratibha Pandey
..
..
*प्रणय*
Loading...