ख़ुद की कद्र
अगर कोई तुम्हें
यहां नहीं समझता
तो क्या फ़र्क पड़ता है?
अरे, तुम तो
अपने आपको
समझते हो न!
इतना भर काफ़ी है।
अगर कोई तुम्हें
यहां नहीं पूछता
तो क्या फ़र्क पड़ता है?
अरे, तुम तो
अपने आपको
पूछते हो न!
इतना भर काफ़ी है।
दूसरों की नज़र से
अपने आपको
देखना बंद करो।
तुम अपनी अऩा-
अपने वक़ार की
कद्र करना सीखो!
अगर कोई तुम्हें
यहां नहीं चाहता
तो क्या फ़र्क पड़ता है?
अरे, तुम तो
अपने आपको
चाहते हो न!
इतना भर काफ़ी है।
Shekhar Chandra Mitra
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