ख़ुदा ने बख़्शी हैं वो ख़ूबियाँ के
ख़ुदा ने बख़्शी हैं वो ख़ूबियाँ के
दिया जलता है मेरा आँधियों में
अदाओं ने तिरी कुछ राहतें दीं
विरह से छटपटाती तितलियों में
महब्बत की नई अब लिख इबारत
ग़ज़ल-गीतों से उभरी मस्तियों में
महावीर उत्तरांचली
ख़ुदा ने बख़्शी हैं वो ख़ूबियाँ के
दिया जलता है मेरा आँधियों में
अदाओं ने तिरी कुछ राहतें दीं
विरह से छटपटाती तितलियों में
महब्बत की नई अब लिख इबारत
ग़ज़ल-गीतों से उभरी मस्तियों में
महावीर उत्तरांचली