ख़ामोशी जो पढ़ सके,
ख़ामोशी जो पढ़ सके,
वही हमारा मित्र
खींचे वरना ग़ैर भी,
भांति-भांति के चित्र
–महावीर उत्तरांचली
ख़ामोशी जो पढ़ सके,
वही हमारा मित्र
खींचे वरना ग़ैर भी,
भांति-भांति के चित्र
–महावीर उत्तरांचली