ख़ाक में मुझको मिलाने आ गए
जिंदगी भर जह्र पिलाने आ गये
ख़ाक में मुझको मिलाने आ गये
जी रहे थे हम यहाँ ओ.. बेवफ़ा
क्यों हमें फिर से सताने आ गये
दूर हमसे हो गये थे बेवजह
फासले अब क्यों मिटाने आ गये
रात की रंगीनियों में खो गये
दिल मिरा देखो जलाने आ गये
मुश्किलों से हो गया जो सामना
दर खुदा के सर झुकाने आ गये
हो गई तुझसे मुहब्बत है कँवल
आज ये तुझको बताने आ गये
गिरहबंद-
चाँद छूने के बहाने आ गए
हम भी क़िस्मत आज़माने आ गए