ख़यालों में उनके उलझने लगे हैं
नज़र ये मिली है उनसे ही जबसे
हसरतें तो दिल के सँवरने लगे हैं।
दिल में मेरे तो अब उमंगें जगी हैं
साज तो दिल के भी बज़ने लगे है।
कैसे अब पहुँचे उन तक संदेशा
जज़्बात दिल के पिघलने लगे हैं।
बात कोई भी ज़ेहन में न आती
ख़यालों में उनके उलझने लगे हैं।
काम अब मेरा कोई भी नहीं है
रातों में तारे अब गिनने लगे हैं।
यात्रा कोई भी अब पूरी न होती
पग पग पर हम ठिठकने लगे हैं।
उनकी नज़र से तो ऐसे हैं उलझे
सँवरते सँवरते ही बिखरने लगे हैं।
नजर का हुआ तो ऐसा असर है
चाहत की हद से गुज़रने लगे है।
उनसे तो कोई मिला दे मुझको
साँसे अब मेरे तो थमने लगे हैं