खर्राटे
खर्राटे
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संगीतज्ञान हो ना हो, उसका कोई गम नहीं
खर्राटे भरना सबके बस की बात नहीं।।
आरोह अवरोह की लय जो सुनाएं
खर्राटेदार संगीत में जो लीनता पाए
खर्राटों में धन्यता लाए,ऐसे कोई कम नहीं
खर्राटे भरना सबके बस की बात नहीं।। 1।।
पेट हो बड़ा जिसका, वहीं सक्षम कहलाए
बड़ी बड़ी किताबे भी इसका प्रमाण न दे पाए
खर्राटों पर संशोधन ऐसे कहीं हालात नहीं
खर्राटे भरना सबके बस की बात नहीं।।2।।
खाली पेट असफल रहोगे,भरा पेट ज़रूरी है
आठ दस मिठाईयां उसपे तो लाजमी है
ख़ाके तुरंत सो जाना ऐसा कोई रिवाज नहीं
खर्राटे भरना सबके बस की बात नहीं।।3।।
नर्म मुलायम गद्दे होना कोई आवश्यकता नहीं
पीठ जमीन से लगे इससे ज्यादा स्वर्ग नहीं
कोई माहौल बनना हैं ऐसा कोई नियम नहीं
खर्राटे भरना सबके बस की बात नहीं।।4।।
करवट लेने पर सुर इनके बिगड़ते हैं
आरोह में ही अवरोह ताने लेते रहते हैं
संगीत से नाता होना ऐसा जरूरी नहीं
खर्राटे भरना सबके बस की बात नहीं।।5।।
सुबह उठ के पूछो इनसे, क्यों भाई तानसेन?
हमीं से पूछे मुंह उठा के, रात को थोड़े थे बेचैन
रात भर आवाजों से भूत प्रेत आए नहीं
खर्राटे भरना सबके बस की बात नहीं।।6।।
खर्राटे है एक कला कोशिश कर के देखिए
जीते जी योगी अवस्था अनुभव तो कीजिए
सप्त चक्र जागृत होवे कुंडलिनी से कम नहीं
खर्राटे भरना सबके बस की बात नहीं।।7।।
खर्राटे वाले घरों में सुलह की गुंजाइश नहीं
सुबह उठ फब्तियां कसना एकदूजे की आस नहीं
प्रेमयापन में दिन गुजरे “मानस” कहे रातों की खैर नहीं
खर्राटे भरना सबके बस की बात नहीं।।8।।
मंदार गांगल “मानस”