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12 May 2024 · 1 min read

खर्च हो रही है ज़िन्दगी।

खर्च हो रही है ज़िन्दगी उनसे इश्क़ को निभानें में।
गर चाहते हो खुश रहना तो दिल ना लगाना ज़मानें में।।

जी ना पाओगे तुम मोहब्बत के खुद से दूर जानें में।
दर्द ही दर्द है यहाँ हर इश्क ए आशिक के फसाने में।।

जब से खबर लगी है उसको महबूब के आनें की।
देखो तो दीवाना कितना खुश है अपना घर सजाने में।।

दर्द को तुम ना समझोगे जो इश्क़ नहीं है तुमको।
ज़ख्म बहुत गहरें है पर क्या फायदा तुम्हें दिखानें में।।

फितरत से वह चोर ना था वक्त ने उसे बनाया था।
बड़ी दिक्कत थी उसको अपना घर बार जो चलाने में।।

चल शिफ़ा दिलाते है बीमारे मरीज़ को दवाखानें में।
वक्त ना बरबाद कर अब यूँ किसी को कहने सुनाने में।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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