खयाल
सुन, तेरी उल्फतों पर मलाल आ गया,
बनी आंखें झरना,हाथ रुमाल आ गया।
जब यूं ही बैठे बैठे खयाल आ गया,
तब समंदर में दिल के भुचाल आ गया।
लरजते लबों पर, हाय! सवाल आ गया,
गीत छेड़ा,तो दर्द होकर बहाल आ गया।
यूं ही बैठे बैठे खयाल आ गया…..
खुद की जिंदगी पर मलाल आ गया।
हां था मेरे अरमानों का लहु वो,
मैं समझी कि रंग-ए-गुलाल आ गया।
ऐसे ही इनायत हुई न नीलम पे,
वो नयी चाल चलके,ले जाल आ गया।
नीलम शर्मा