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17 Feb 2024 · 1 min read

खत ए ईश्क

खत उसनें खोला भी नहीं
और सब पढ़ लिया
जो मैंने कहा भी नहीं
सब वो उसनें सुन लिया
दिल पर अपनें रख के हाथ
धडकनें मेरी सुनता रहा
सपनें मैं देखती रही
और वो बूनता रहा
भीड़ में हजारों की
वो मुझें पहचान लेता
मेरी आँखों से सब
हाल मेरे जान लेता
खुली थी आजा़द गगन में
लेकिन श्वासों की डोर से बांध रखा था

Language: Hindi
112 Views
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