खता मुझसे हुई तो फिर, सजा देते तो अच्छा था।
गज़ल
काफ़िया- आ स्वर
रद़ीफ- देते तो अच्छा था
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222…….1222…….1222……..1222
तुम्हें मुझसे मुहब्बत है, बता देते तो अच्छा था।
खता मुझसे हुई तो फिर, सजा देते तो अच्छा था।
तुम्हारे नैन कजरारे, उन्हीं में खो गया जानम,
उन्हीं आँखों में मुझको भी, छुपा लेते तो अच्छा था।
ये बाते दिल की हैं, दिल को समझना ही मुहब्बत है,
कि कैसे दिल को समझेंगे, बता देते तो अच्छा था।
तुम्हारे इश्क का दीपक, जो जलता है मेरे दिल में,
कि उसको जाने से पहले, बुझा देते तो अच्छा था।
दिया है दर्दे दिल प्रेमी को, जाने क्यों खुदा जाने,
तुम्हीं इस दर्द की मुझको, दवा देते तो अच्छा था।
…..✍️ प्रेमी