खतरे में हैं जंगल
खतरे में हैं जंगल
जंगल
खतरे में हैं
कभी सोचा
क्या कहना चाहते हैं?
स्वार्थ के वशीभूत
बहरा हो गया मानव
तभी तो नहीं सुन पाता
इनकी करूण पुकार,
मनते हैं वन महोत्सव
जबर्दस्त होता वृक्षारोपण
पर उनमें से
कितने बचते
और कितने पूर्ण वृक्ष
बन पाते हैं,
कटाई में होती
बेतहाशा वृद्धि
छीन रही है
वन्य पशुओं की आश्रयस्थली,
प्रकृति और पर्यावरण में
तालमेल बनाने को
स्वार्थ और लालसा का
त्याग करना ही होगा
नहीं तो दूषित हवा पानी से
प्रकृति, वन्य पशु, मानव का
लेशमात्र भी नहीं बचेगा।
#डॉभारतीवर्माबौड़ाई