खड़कते पात की आवाज़ को झंकार कहती है।
खड़कते पात की आवाज़ को झंकार कहती है।
खपच्ची के धनुष की टुक्क को टंकार कहती है।।
ये सारा मामला है सिर्फ़ अरबों की कमाई का।
बिकाऊ मीडिया फुसकार को हुंकार कहती है।।
🙅प्रणय प्रभात🙅
खड़कते पात की आवाज़ को झंकार कहती है।
खपच्ची के धनुष की टुक्क को टंकार कहती है।।
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बिकाऊ मीडिया फुसकार को हुंकार कहती है।।
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