खट्टी-मीठी खुशियाॅं….
खट्टी-मीठी खुशियाॅं….
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खट्टी-मीठी खुशियाॅं वो हैं ,
जिनमें खुशियाॅं तो होती ,
पर ग़म के साये में होती !
खुश तो होते हैं पर हॅंसी ,
खुल के प्रकट नहीं होती !!
ख़ुशी के अनेक कारण होते ,
पर ग़म भी साथ-साथ चलते !
एक-दो अच्छे समाचार मिलते ,
तो एक समाचार दुखी भी करते !!
कभी – कभी तो ये दुःख भी ,
कुछ अलग ही प्रकार के होते !
किसी के दु:ख वास्तविक नहीं होते ,
पर औरों के सुख ही उनके दु:ख होते !!
वे अपने सुख से तो खुश होते रहते….
पर औरों के सुख से दुखित हो जाते !
वे अपनी खुशी पर जोर से हॅंस लेते ,
संग औरों की खुशी पर रोने लगते !!
वैसे सुख-दु:ख का चक्र तो जीवन में,
सदैव साथ – साथ ही चलता रहता !
बस, यही दर्शन तो हमारे ब्रह्मांड का ,
अटूट सत्य,जीवन संबंधी नियम होता !!
पर , हम औरों के सुख से जलकर….
कभी भी बनावटी दु:ख ना पैदा करें !
जीवन में कभी सुख का दीदार होगा….
और कभी दु:ख का भी सामना होगा !!
जिस किसी से कभी वास्ता पड़ जाए ,
तो इसे वास्तविक, प्राकृतिक ही रहने दें !
ईश्वर जब दामन में सुख का आनंद दे ,
तो उस सुख को सदा सहर्ष स्वीकार करें !
और यदा-कदा दु:ख भी कहीं आ जाए ,
उसकी भी सहन-शक्ति ईश्वर से प्राप्त करें !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 28 अक्टूबर, 2021.
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