खगों में फिजा प्यार की आ गई
खगो में फिजा प्यार की आ गई
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**●★●★ (गजल) ●★●★●*
खगों में फिजा प्यार की आ गई,
बहुत ही खुशी है वहाँ भा गई।
लड़ी चोंच से चोंच मस्ती युक्त पल,
भरे प्रेम से हिय चहक छा गई।
ठिठोली बड़ी देर तक खेलते,
विहग ने गजल प्रेम की गा गई।
गले से लगा कर चहकने लगे,
नजर वो नशीली गजब ढा गई।
गुलों से महकते पखेरू हैं बीड़ में,
चमन में बहारें भरी छा गई।
जवां मन महकता मनाए खुशी,
खिली रागिनी मौज रुत आ गई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)