{{ खंज़र }}
उसकी नज़र थी या ,चलता फिरता खंज़र था कोई ,
आज तक उस नज़र की ,नज़र उतारी नही जाती है ,
कुछ गिन के ही वक़्त देता है , वो मुझे इश्क़ में ,
उस वक़्त के बाद मुझसे, वक़्त गुज़री नही जाती है ,
उसकी नज़र थी या ,चलता फिरता खंज़र था कोई ,
आज तक उस नज़र की ,नज़र उतारी नही जाती है ,
कुछ गिन के ही वक़्त देता है , वो मुझे इश्क़ में ,
उस वक़्त के बाद मुझसे, वक़्त गुज़री नही जाती है ,