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19 Jul 2021 · 1 min read

खंडहर होती अपनी जिन्दगी की कहानी की अंतिम सांस तक

किताब भी
कलम भी
दवात भी
जज्बात भी
खाली पन्नों की
एक बारात भी
डोली में
दुल्हन पर
न बैठे
नहीं होगी वह
अपना घर छोड़
कहीं किसी के लिए
विदा
अपने घर में रहेगी वह
मरते दम तक
खंडहर होती अपनी
जिन्दगी की कहानी की अंतिम सांस तक
घर के द्वार पर आई
खुशियों के हार को
वह लौटा देगी
वापिस उनके मार्ग पर।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 352 Views
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