खंडहर होती अपनी जिन्दगी की कहानी की अंतिम सांस तक
किताब भी
कलम भी
दवात भी
जज्बात भी
खाली पन्नों की
एक बारात भी
डोली में
दुल्हन पर
न बैठे
नहीं होगी वह
अपना घर छोड़
कहीं किसी के लिए
विदा
अपने घर में रहेगी वह
मरते दम तक
खंडहर होती अपनी
जिन्दगी की कहानी की अंतिम सांस तक
घर के द्वार पर आई
खुशियों के हार को
वह लौटा देगी
वापिस उनके मार्ग पर।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001