सोचना नहीं कि तुमको भूल गया मैं
*अध्यात्म ज्योति* : वर्ष 53 अंक 1, जनवरी-जून 2020
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
मौर ढलल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
अगर आपमें क्रोध रूपी विष पीने की क्षमता नहीं है
थिक मिथिला के यैह अभिधान,
अपनी कलम से.....!
singh kunwar sarvendra vikram
जुआं में व्यक्ति कभी कभार जीत सकता है जबकि अपने बुद्धि और कौ
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
Shankar Dwivedi's Poems
Shankar Dwivedi (1941-81)
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
सत्यव्रती धर्मज्ञ त्रसित हैं, कुचली जाती उनकी छाती।
काली छाया का रहस्य - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
रमेशराज के शिक्षाप्रद बालगीत
कविता: जर्जर विद्यालय भवन की पीड़ा