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16 Aug 2016 · 1 min read

कड़वी सच्चाई लिखूँगी

गरीब की आह लिखूँगी, अमीर की चाह लिखूँगी,
आम जनता के लिये राजनेता हैं बेपरवाह लिखूँगी।

गरीब का दर्द लिखूँगी, वासना में डूबा मर्द लिखूँगी,
मर्यादा छोड़ दी औरत ने, मची है अँधेरगर्द लिखूँगी।

बिकता है बदन लिखूँगी, अमीरी में नंगा तन लिखूँगी,
देश का भविष्य गंवा रहा सड़को पर बचपन लिखूँगी।

किसान की बदहाली लिखूँगी, हालत माली लिखूँगी,
देश के रक्षकों को मिलती गोली और गाली लिखूँगी।

मजहब की लड़ाई लिखूँगी, कड़वी सच्चाई लिखूँगी,
अमीर गरीब में दिन प्रति दिन बढ़ रही खाई लिखूँगी।

पेट की आग लिखूँगी, मानवता पर लगते दाग लिखूँगी,
आज सुलक्षणा के लेखन से जनता रही है जाग लिखूँगी।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

1 Comment · 386 Views
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