क्षोभ
अंतिम निर्णय निर्दयता की जननी बनी।
निष्पक्ष न्याय होती तो मानवता जीती हैं।
आकांक्षा प्यासी है, इतिहास साक्षी हैं।
सत्य हमेशा मौन रहा।
अहट्टास करती है, झूठी शान।
बधेरती बदलती अपनी ब्यान।
सत्य हमेशा मौन रहा ।
निष्पक्ष न्याय युद्ध कभी हुआ नहीं ।
जीती हुई बाजी,हारी ना जाती।
मौलिकता कभी मारी नहीं जाती हैं।
छल, बल, धोखा, चालाकी,
दुनियाँ में सबसे ज्यादा इनके संगे साथी ।
सत्य हतप्रभ हो जाता हैं,फिर साथ निभाता है।
कायर हमेशा परेशान हैं,सच से हैरान हैं।
कौरव इसके संगे साथी।
आकांक्षा प्यासी है, इतिहास साक्षी हैं।
सत्य हमेशा अकेले खड़ा हैं,
क्षोभ से अपने अपनों से लड़ा हैं। _ डॉ. सीमा कुमारी , बिहार (भागलपुर) 11-1-021 की स्वरचित रचना ।