क्षीण राजतन्त्र
“अरे बंद करो ये राजनीती ,
मासूमो की लाशों पर !
कब तक बेशर्म बने रहोगे ,
इन क्रूर घटनाओ पर !!
तेरे राज्य में इतने मरे ,
मेरे राज्य में इतने !
जीवन का यूँ मूल्य लगाते ,
तुम सवेंदनहीन हो कितने !!
माना की तुम सत्ताधारी हो ,
बहुत बड़े तुम बाहुबली हो !
लोगो के जीवन का निर्णय लो ,
तुम इतने शक्तिशाली हो !!
पर जिसके मन में करूणा ना हो ,
कानून व्यवस्था का भय न हो !
मानवता को शर्मशार कर दे ,
ऐसे जिसके घृणित कर्म हो !!
वो तो एक श्रापित मनुष्य है ,
धरती पर वो सबसे तुच्छ है !
लाशों की कुर्सी पे बैठके ,
जो चलाता शासन है !!
सबसे बड़े इस लोकतंत्र ने ,
अजगर पाले हैं राजतन्त्र में !
बस क्षण भर ये हैं लेते ,
रक्षक से भक्षक बनने में !!
सत्ता चढ़ते ही यदि नेता ,
विवेकहीन हो जाता हो !
भंग कर दो ऐसे लोकतंत्र को ,
जिसमे नेता तानाशाह बन जाता हो !!