“ क्षितिज को अपना घर बनाएंगे “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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कल्पना नहीं हकीकत
में हमें पंख लग चुके हैं ,
चलो ज़मीं से दूर चलो
जहाँ ना बंदिशें कोई
नहीं है धर्मं का झगड़ा ,
क्षितिज को कौन बाँधा है
कभी सीमाओं के बंधन में ?
सभी हैं अपनों में खुश
धोखा ,फरेब ,ईर्षा और
द्वेष क्षितिज में है कहाँ ?
स्वच्छता ,शीतलता और
शांत में हम विचरते है !
रंगभेद ,भाषा विवाद ,
नरियों पर अत्याचार की
व्यथा नहीं सहना पड़ेगा ,
थक गए थे हम बहुत
झूठे सपने देखकर ,
विचारों को भी व्यक्त
करना है गुनाह कहीं ,
देश -द्रोही कहके सारे
ताउम्र जेलों में ना सढ़ना
पड़े या गोली दाग दे !
यहाँ तो देशभक्त का चोला
कोई और पहन रखा है !
आसमानों पर मंहगायी
का नामोनिशां नहीं है ,
रोजगार की बातें यहाँ
पर कौन करता है भला ?
है फिक्र अपने आकाश की
कौन इसको बेच डालेगा
कहो जागीर है किसकी ?
हमारा ऊब गया है मन
अब हम आकाश में ही
विचरण सदा करते रहेंगे ,
जब यहाँ “ अच्छे दिन “
के सपने वस्तुतः साकार होंगे ,
हम यहाँ फिर लौटकर
आ जाएंगे !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,
झारखंड
भारत
24.08.2021.