*”क्षमादान”*
“क्षमा”
क्षमा याचना बड़प्पन भाव से सदैव राग द्वेष दूर मिटाए।
क्षमा गुणों की खान वीरों का आभूषण ,अंहकार विकार दूर कर जाएं।
क्षमा वाणी एक महान कार्य ,आत्मिक सुख शांति दे जाए।
विन्रमता पूर्वक क्षमा याचना करते हुए, फिर भी गलती दोहराते हुए पुनः क्षमादान मांगते जाएं।
क्षमा याचना से छोटे न बनते ,दया याचिका बारम्बार करते ही जाए।
प्रभु सुमिरन कर विनती करते ,अवगुण मेरे चित्त न धरो दृष्टि भाव ये जगाएं।
क्षमाशीलता से शुद्ध सात्विक विचार ,राग
द्वेष मिटे चेहरों पर खुशियां झलक जाए।
सर्वगुण शुद्ध भावनाओं से क्षमा मांगते ,चंदन सा शीतलता मन पवित्र कर जाए।
कोमल हृदय सरलता से व्यक्ति की पहचान कराते आत्म विश्वास जगाए।
क्षमादान अनमोल उपहार स्वरूप ,आत्म अवलोकन करा जाए।
विन्रम भाव से क्षमा याचना ,जीवन में नई दिशा सही राह दिखलाए।
आत्म चिंतन से मूल्यांकन कराता हुआ ,जीवन में अभयदान मिल जाए।
राग द्वेष कुंठित मानसिकता से शुद्ध विचार जागृति नव निर्माण कार्य कराए।
क्षमा से बड़ा कुछ भी नही ,जब एक बार शीश झुकाते क्षमा मांगते हुए जीवन में नया सुअवसर मिल जाए।
जीवन सफलता की ओर बढ़ते हुए ,नवीन निर्माण कार्य करवाए।
क्षमा बड़न को चाहिए छोटन को उत्पात
जय श्री कृष्णा राधे राधे