क्षणिकायें
क्षणिकायें
जी रहा हूँ मैं
वीरानियों में कुछ इस उम्मीद से
बदलेंगे सितारे मेरी किस्मत के
बस अब , अभी , अगले ही पल
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जिन्दगी की राह के काँटों ने
मुझे पत्थरों पर चलना सिखा दिया
इसी उम्मीद से जी रहा हूँ
कभी तो फूलों पर सैर का मौका मिलेगा