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26 Jul 2021 · 1 min read

क्षणिकाएं

133/A• क्षणिकाएं

1)रोगी को देख डाक्टर बड़ा खुश था
कहा आपरेशन तो बहुत जरूरी है ।
सोचा ठीक तो वैसे भी हो जाता,पर
नर्सिंग होम बनाने की मजबूरी है ।

2) शंकित के मन में चिंता अंकित हो गई,
पैसे ज़ेब में रखा,मंदिर में नहीं चढ़ाया ।
सोचा,भगवान से वेतन-वॄद्धि मांगी तो है ,
पर सेठ का क्या, बढ़ाया ,नहीं बढ़ाया ।

3) पत्नी बोली,”मास्टर जी,इनको अंग्रेजी सिखला दो,
भारत में रहकर भी ये अंग्रेजी पढ़ नहीं पाते हैं ।
खोखे पर साफ़ लिखा होता है,फिर भी ये
मूंछों पर ‘फेयरनेस’ क्रीम लगाते हैं । ‘

4)बहुत दिनों से बोलचाल बंद थी,
बीबी बड़ी बदमिजाज जो थी ।
लेकिन आज बोलना ही पड़ा ,
करते भी क्या,साली आ गयी थी।

5)लीपा-पोती कर चुके ,नकल किए तुम खूब ।
अब पछताए होत क्या, पढ़ो जेल में खूब ।

6) इक्कीसवीं सदी के मजनूँ परेशान थे,
क्या हो गया,आज तो आने वाली थी?
पर ,’ डाली ‘ कहीं और डोल रही थी ,
वहां भी तो किसी को वचन दे चुकी थी।
समय से ज्यादा संख्या का महत्व था,
वह भी तो लैला इसी सदी की थी ।
***************************************** राजेंद्र प्रसाद गुप्ता,स्वरचित,24-10-04/13-06-17

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 752 Views
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