— क्लेश तब और अब –
शब्द अपने आप में ही
भरा हुआ है , गुस्से से
कलेश तब भी था और
क्लेश आज भी है !!
पहले होते थे परिवार में
एक के 10 -12 बच्चे
आज घट का है संख्या
होने लगे 1 -2 ही बच्चे !!
किस घर में नहीं होती थी
तब भी छोटी छोटी बातें
क़त्ल नहीं करता था कोई
निकल आती थी समाधान से
हर घर की सब बातें !!
आज क्लेश ने कर दिआ
परिवारों का ही सत्यानाश
खून खून का प्यासा हो गया
हर घर का वंशवाद !!
जरा सी बात न सहन करता
इतना खून उबलता है
पल भर में निकाल के गोली
जिस्म पर वार वो करता है !!
नहीं आती थी कभी इतनी ख़बरें
न होते थे कभी खून खराबे
अपने ही हाथो से उजाड़ रहे हैं
घर में ही साथ रहने वाले !!
नहीं मिलेगी निजात आगे भी
इस से बद्ततर दुर्दशा होगी
न जाने किस जन्म के कर्मो
के फल की सजा मिलेगी !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ