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18 Aug 2021 · 1 min read

क्रोध और वेदना

चंद मुठ्ठी भर लोगों ने ये कैसा कहर बरपाया है।
हथियारों को लहराते हुए कैसे सबको डराया है।।
पत्थरों का प्रहार कर शीशे सब चकनाचूर किये।
अग्नि ज्वाला में भस्म करने को पेट्रोल बहाया है।।

तीर्थों पर पूजा करने वालो तीर्थों को बचाना होगा
एक जुट हो कर अब आतंकियों को हराना होगा
जागो उठो संगठित हो जाओ समय तुम्हे पुकार रहा
पूजा करने वाले हाथों में अब हथियार उठाना होगा

गर अब भी ना जागे तो मंदिर ना बचा पाओगे
कहाँ वंदना करोगे तुम कहाँ अक्षत चढ़ाओगे
खुद को अहिंसक कहने वालों अब देरी अच्छी नही
मंदिर गर छिने हमसे तो घर अपना बचा न पाओगे

बागपत जिले के बड़े गांव और चांदखेड़ी में हुए हमले से आहत होकर लिखी एक व्यथा

Language: Hindi
2 Likes · 639 Views
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