क्रूरता की हद पार
धीरे-धीरे वो पास आने लगा
प्यार के अफ़साने वो गाने लगा
इजहार प्यार का करके उसने
प्यार से उसे गले लगाने लगा
छोड़ आयी वो अपने परिवार को
हमसफ़र बन कर साथ रहने लगी
दूर सबसे वो ऐसे होने लगी
अपनी पहचान को वो खोने लगी
एक सुंदर सा सपना सजाने लगी
गीत प्रीत का वो मन में गाने लगी
धर्म अपना वो भूल
उस मजहब को अपनाने लगी
शक था या फिर थी शंका
या मन भर गया था उसका
इंसानो में आज इंसानियत जाने लगी
क्रूरता की सारी हदें पार होने लगी
पहले वार उसके दिल पे हजार किये
फिर शरीर के सौ टुकड़े काट दिए
दरिंदगी की हदें पार कर रहा इंसान
पहन चोला मानव का बन रहा हैवान
भयावह तस्वीर है आज के समाज की
रूह कांप जाता है देख हरकत इंसान की
ममता रानी
झारखंड