क्रांतिकारी
विषय- क्रान्तिकारी
विधा- मुक्तक
बहर- १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
मिटा आज़ाद का सपना, नही आज़ाद भारत है।
सभी को नोट की चाहत, वतन से भी हिक़ारत है।
यहाँ सब क्रांतिकारी है, तभी ना देश झुकता है।
‘नमन’ लिखता यही सब है, यही उसकी इबारत है।
नमन जैन नमन