Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2018 · 3 min read

क्रांतिकारी गोपी मोहन साहा

क्रान्तिवीर गोपीमोहन साहा

पुलिस अधिकारी टेगार्ट ने अपनी रणनीति से बंगाल के क्रान्तिकारी आन्दोलन को भारी नुकसान पहुँचाया। प्रमुख क्रान्तिकारी या तो फाँसी पर चढ़ा दिये गये थे या जेलों में सड़ रहे थे। उनमें से कई को तो कालेपानी भेज दिया गया था। ऐसे समय में भी बंगाल की वीरभूमि पर गोपीमोहन साहा नामक एक क्रान्तिवीर का जन्म हुआ, जिसने टेगार्ट से बदला लेने का प्रयास किया। यद्यपि दुर्भाग्यवश उसका यह प्रयास सफल नहीं हो पाया।

टेगार्ट को यमलोक भेजने का निश्चय करते ही गोपीमोहन ने निशाना लगाने का अभ्यास प्रारम्भ कर दिया। वह चाहता था कि उसकी एक गोली में ही उसका काम तमाम हो जाये। उसने टेगार्ट को कई बार देखा, जिससे मारते समय किसी प्रकार का भ्रम न हो। अब वह मौके की तलाश में रहने लगा।

दो जनवरी, 1924 को प्रातः सात बजे का समय था। सर्दी के कारण कोलकाता में भीषण कोहरा था। दूर से किसी को पहचानना कठिन था। ऐसे में भी गोपीमोहन अपनी धुन में टेगार्ट की तलाश में घूम रहा था। चैरंगी रोड और पार्क स्ट्रीट के चैराहे के पास उसने बिल्कुल टेगार्ट जैसा एक आदमी देखा। उसे लगा कि इतने समय से वह जिस संकल्प को मन में सँजोये है, उसके पूरा होने का समय आ गया है। उसने आव देखा न ताव, उस आदमी पर गोली चला दी; पर यह गोली चूक गयी। वह व्यक्ति मुड़कर गोपीमोहन की ओर झपटा। यह देखकर गोपी ने दूसरी गोली चलायी। यह गोली उस आदमी के सिर पर लगी।

वह वहीं धराशायी हो गया। गोपी ने सावधानीवश तीन गोली और चलायी और वहाँ फिर से भाग निकला। उसने एक टैक्सी को हाथ दिया; पर टैक्सी वाला रुका नहीं। यह देखकर गोपीमोहन ने उस पर भी गोली चला दी। गोलियों की आवाज और एक अंगे्रज को सड़क पर मरा देखकर भीड़ ने गोपीमोहन का पीछा करना शुरू कर दिया। गोपी ने फिर गोलियाँ चलायीं, इससे तीन लोग घायल हो गये; लेकिन अन्ततः वह पकड़ा गया।

पकड़े जाने पर उसे पता लगा कि उसने जिस अंग्रेज को मारा है, वह टेगार्ट नहीं अपितु उसकी शक्ल से मिलता हुआ एक व्यापारिक कम्पनी का प्रतिनिधि है। इससे गोपी को बहुत दुख हुआ कि उसके हाथ से एक निरपराध की हत्या हो गयी; पर अब कुछ नहीं हो सकता था।

न्यायालय में अपना बयान देते समय उसने टेगार्ट को व्यंग्य से कहा कि आप स्वयं को सुरक्षित मान रहे हैं; पर यह न भूलें कि जो काम मैं नहीं कर सका, उसे मेरा कोई भाई शीघ्र ही पूरा करेगा। उस पर अनेक आपराधिक धाराएँ थोपीं गयीं। इस पर उसने न्यायाधीश से कहा कि कंजूसी क्यों करते हैं, दो-चार धाराएँ और लगा दीजिये।

16 फरवरी, 1924 को उसे फाँसी की सजा सुना दी गयी। सजा सुनकर उसने गर्व से कहा, ‘‘मेरी कामना है कि मेरे रक्त की प्रत्येक बूँद भारत के हर घर में आजादी के बीज बोये। जब तक जलियाँवाला बाग और चाँदपुर जैसे काण्ड होंगे, तब तक हमारा संघर्ष भी चलता रहेगा। एक दिन ब्रिटिश शासन को अपने किये का फल अवश्य मिलेगा।’’

एक मार्च, 1924 भारत माँ के अमर सपूत गोपीमोहन साहा ने फाँसी के फन्दे को चूम लिया। मृत्यु का कोई भय न होने के कारण उस समय तक उसका वजन दो किलो बढ़ चुका था। फाँसी के बाद उसके शव को लेने के लिए गोपी के भाई के साथ नेताजी सुभाषचन्द्र बोस भी जेल गये थे।

Language: Hindi
Tag: लेख
604 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चुप रहना भी तो एक हल है।
चुप रहना भी तो एक हल है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जीवन
जीवन
Monika Verma
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
ज़माना हक़ीक़त
ज़माना हक़ीक़त
Vaishaligoel
" कटु सत्य "
DrLakshman Jha Parimal
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
पूर्वार्थ
वार्तालाप अगर चांदी है
वार्तालाप अगर चांदी है
Pankaj Sen
एक दिवस में
एक दिवस में
Shweta Soni
#पर्व_का_संदेश-
#पर्व_का_संदेश-
*Author प्रणय प्रभात*
नजराना
नजराना
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मुफ़्त
मुफ़्त
नंदन पंडित
"हाथों की लकीरें"
Ekta chitrangini
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
Anil chobisa
ग़ज़ल
ग़ज़ल
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
विराम चिह्न
विराम चिह्न
Neelam Sharma
चली ⛈️सावन की डोर➰
चली ⛈️सावन की डोर➰
डॉ० रोहित कौशिक
*चुनाव: छह दोहे*
*चुनाव: छह दोहे*
Ravi Prakash
# जय.….जय श्री राम.....
# जय.….जय श्री राम.....
Chinta netam " मन "
2345.पूर्णिका
2345.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*पहचान* – अहोभाग्य
*पहचान* – अहोभाग्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दिल कहता है खुशियाँ बांटो
दिल कहता है खुशियाँ बांटो
Harminder Kaur
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
आनंद प्रवीण
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
Satish Srijan
💐प्रेम कौतुक-310💐
💐प्रेम कौतुक-310💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
निराला जी पर दोहा
निराला जी पर दोहा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अजीब हालत है मेरे दिल की
अजीब हालत है मेरे दिल की
Phool gufran
"ग से गमला"
Dr. Kishan tandon kranti
जो खत हीर को रांझा जैसे न होंगे।
जो खत हीर को रांझा जैसे न होंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
बनारस की ढलती शाम,
बनारस की ढलती शाम,
Sahil Ahmad
तेवरी का आस्वादन +रमेशराज
तेवरी का आस्वादन +रमेशराज
कवि रमेशराज
Loading...