क्योकी धनवान कहाते हो।
पैसे से खेल खेलने वाले,
क्यों पैसो से मुझको तौल रहे ।
विश्वास मुझे है धनी हूँ मैं ।
कैसे गरीब तुम बोल रहे।
हो सकता है कम पैसे हैं,
कुछ कम पद और ओहदे हैं ।
पर अधिक पास विश्वास रहा ।
कैसे तुमने गरीब कहा।
धन पद से तौल लगाते हो।
पैसे के गुन तो गाते हो ।
पैसे से कोई न संतोष गहे
फिर कैसे धनवान कहाते हो।
जो जैसे है स्वाभिमान सहित
स्वागत करना सम्मान सहित
ये सीख हमारी ले लो तुम ।
क्योंकी धनवान कहाते हो।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र